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आखिर क्यों भगवान विष्णु ने दिया था माता लक्ष्मी को नौकरानी बनने का श्राप, जानिए

Aug 19 2019

Posted By:  Sunny

भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की जोड़ी सबसे सूंदर जोड़ी मानी जाती है, यही वजह है की उनकी अधिकतर तस्वीरें साथ ही होती है , भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी दोनों ही संसार को चलने में योगदान देते है, भगवान विष्णु जहां जग का पालन करते है वहीँ माँ लक्ष्मी इस जग में समृद्धि लाती है, लेकिन एक ऐसा समय भी आया था जब माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु को अलग होना पड़ा था, भगवान विष्णु स्वयं माँ लक्ष्मी को पृथ्वी पर छोड़ आये थे और माँ लक्ष्मी को दासी बन कर रहना पड़ा था |




प्राचीन कथाओ के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर घूमने जाने का मन बनाया लेकिन जब ये बात माता लक्ष्मी को पता चली तो वे भी उनके साथ चलने की जिद करने लगी, जिसके लिए विष्णु जी ने मना कर दिया लेकिन वे नहीं मानी और विष्णु जी को उन्हें साथ ले जाने के लिए विवश होना पड़ा, विष्णु जी माता लक्ष्मी को साथ ले जाने के लिए मान तो गए लेकिन उन्होंने माता लक्ष्मी के सामने एक शर्त रखी, उन्होंने कहा की तुम उत्तर दिशा की और नहीं देखोगी और ना ही किसी चीज को बिना पूछे छुओगी, ये सुन कर माता लक्ष्मी ने झट से हां कह दिया |



जब विष्णु जी और माँ लक्ष्मी दोनों पृथ्वी पर पहुंचे तो धरती का मौसम बहुत ही मनोरम था क्योकि एक दिन पहले ही वर्षा हुयी थी और सूर्योदय भी हो रहा था, ऐसे सूंदर दृश्य को देखकर माता लक्ष्मी मंत्रमुग्ध हो गयी और उन्हें ध्यान ही नहीं रहा की वे कब उत्तर दिशा में आ गयी है और वो विष्णु भगवान को दिए अपने वादे को भूल गयी जिस कारण उन्होंने एक बगीचे से फूल भी तोड़ लिया, लेकिन जब वो फूल तोड़कर वापस विष्णु जी के पास पहुंची तो विष्णु जी की आंखो मे आंसू थे, जब माता लक्ष्मी ने उनसे इसकी वजह पूछी तब उन्होंने कहा की तुम्हे किसी की चीज को बिना पूछे हाथ नहीं लगाना चाहिए ये सुनकर माता लक्ष्मी को अपना वचन याद आया तो वे बहुत दुखी हुयी और तभी विष्णु जी ने कहा की तुम्हे गलती की सजा अवश्य मिलेगी, उन्होंने माता को श्राप दिया की उन्होंने जहां से फूल तोड़े है उस बगीचे के माली के घर नौकरानी बनकर रहना होगा उसके बाद ही वे बैकुंठ में प्रवेश कर सकेगी |


इसके बाद माँ लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का रूप धारण किया और उस माली के घर सहारा मांगने निकल पड़ी और उस माली को कहा की उसका कोई नहीं है उनकी मदद करे, माली एक दयालु इंसान था, उसको माता लक्ष्मी पर दया आ गयी और उन्हें अपनी बेटी समझ कर अपने घर में  लिए रख लिया और अगले दिन से ही माली के साथ सबकुछ अच्छा होने लगा उसके सारे फूल एकसाथ बिक गए, उसने शाम तक एक गाय खरीद ली और देखते ही देखते उसका घरबार सब अच्छा हो गया वह संपन्न हो गया, उस माली को हमेशा लगता था की ये सब उस लड़की के आने के बाद से ही हो रहा है |

एक बार जब माली अपने घर गया तो देखा की एक गहनों से लदी स्त्री जिसके चेहरे पर तेज था उसके घर बैठी थी, और जब वो उसके नजदीक गया तो उसने पहचान लिया की ये तो उसकी वही बेटी है जो की स्वयं माँ लक्ष्मी है |
यह जानकर वो माँ लक्ष्मी से कहने लगा माता मुझे क्षमा कर दीजिये मैने आपसे काम करवाया मुझसे अपराध हो गया, ये सुनकर माता लक्ष्मी ने कहा की हे माधव तुम बहुत अच्छे इंसान हो तुमने मुझे अपने घर में जगह दी अपनी बेटी की तरह पाला, इसके बदले में मै तुम्हे वरदान देती हु की तुम्हारे जीवन में कभी धन धान्य की कमी नहीं रहेगी, तुम्हे संसार की सभी खुशिया मिलेगी, इतना कहकर माता लक्ष्मी पुनः बैकुंठ पधार गयी |

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